![](https://www.hindmajdoorkisansamiti.com/wp-content/uploads/2021/06/student_optimized.png)
विद्यार्थी - भविष्य दाता
विद्यार्थी देश का दिल-दिमाग है।
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मजदूर - श्रम दाता
मजदूर देश के हाथ-पैर है।
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किसान - अन्न दाता
किसान देश की रीढ़ है।
![](https://www.hindmajdoorkisansamiti.com/wp-content/uploads/2021/06/worker_optimized.png)
कर्मचारी - व्यवस्था दाता
कर्मचारी देश के आँख-नाक-मुँह है।
![](https://www.hindmajdoorkisansamiti.com/wp-content/uploads/2021/06/business_optimized.png)
व्यापारी - रोजगार दाता
व्यापारी देश का पेट है।
![विद्यार्थी - भविष्यदाता](https://www.hindmajdoorkisansamiti.com/wp-content/uploads/2021/06/student_optimized.png)
![मजदूर - श्रमदाता](https://www.hindmajdoorkisansamiti.com/wp-content/uploads/2021/06/labour_optimized.png)
![किसान - अन्नदाता](https://www.hindmajdoorkisansamiti.com/wp-content/uploads/2021/06/farmer_optimized.png)
![कर्मचारी - व्यवस्थादाता](https://www.hindmajdoorkisansamiti.com/wp-content/uploads/2021/06/worker_optimized.png)
![व्यापारी - रोजगारदाता](https://www.hindmajdoorkisansamiti.com/wp-content/uploads/2021/06/business_optimized.png)
हिन्द मजदूर-किसान समिति
हमारा परिचय
मुख्य उद्देश्य
हमारे बारे में
हिन्द मजदूर-किसान समिति मजदूर व किसान के मानसिक, शारीरिक और आर्थिक इत्यादि हितों की रक्षा के लिये बनायी गयी समिति है। इसका गठन 18 दिसम्बर, 2020 को उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ में किया गया। यह समिति श्री चन्द्रमोहन जी की मजदूर व किसान नीति से प्रभावित है और रहेगी। श्री चन्द्रमोहन जी का मानना है कि मजदूर देश के हाथ व पैर हैं और किसान देश की रीढ़ है। मजदूर देश का श्रम दाता है और किसान देश का अन्नदाता है। श्री चन्द्रमोहन जी कहते हैं कि श्रम के बिना अन्न नहीं हो सकता और अन्न के बिना श्रम नहीं हो सकता इसलिये मजदूर और किसान एक दूसरे के पूरक हैं। लेकिन ये हिन्दुस्तान का दुर्भाग्य है कि आज मजदूर और किसान ही सबसे अधिक शोषित व पीड़ित हैं। इसका एक मुख्य कारण मजदूर व किसानों का जाति व्यवस्था में बंधे रहना भी है।
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समिति के मुख्य उद्देश्य
श्री चन्द्रमोहन जी मानते हैं कि देश की व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिये पंचदेवों की आवश्यकता पड़ती है। उनके अनुसार पंच देव हैं- विद्यार्थी, मजदूर, किसान, कर्मचारी और व्यापारी। अगर इनमें से एक भी पीड़ित या शोषित है तो देश नहीं चल सकता, उन्नति नहीं कर सकता और खुशहाल नहीं हो सकता। परन्तु ये हमारे देश का दुर्भाग्य है कि वर्तमान में हमारे हिन्द में ये पांचों ही पीड़ित व शोषित हैं। हमारे देश में जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान का नारा बहुत प्रचलित है और इस नारे में जवान, किसान और विज्ञान (वैज्ञानिक) तीनों का महत्व समान दर्शाया गया है। यदि तीनों का महत्व समान है तो तीनों को सुविधाएं भी समान मिलनी चाहिए।
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जब तक मजदूर और किसान जाति व्यवस्था में फंसा रहेगा तब तक एकजुट नहीं हो सकता। मजदूर और किसानों का जाति में बटना ही सबसे बड़ा अभिशाप है। मजदूर व किसानों के जातियों में बंटे होने के कारण ही किसान व मजदूर नेताओं द्वारा इनका भयंकर शोषण किया जाता है।
देश में जवान-किसान-विज्ञान तीनों का योगदान एक समान है तो तीनों को सम्मान एक समान क्यों नहीं? सैनिकों को या वैज्ञानिकों को रिटायरमेंट के बाद पेंशन मिलती है या और सुविधाएँ मिलती हैं परन्तु मजदूर किसान को क्या मिलता है ? इसलिये हिन्दुस्तान की खुशहाली के लिये मजदूर किसानों के हितों की रक्षा भी जरूरी है।
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आपका सहयोग मजदूर किसान की खुशहाली के लिए सहायक होगा।
आपका सहयोग मजदूर किसान की खुशहाली के लिए सहायक
होगा।
मजदूर देश के हाथ-पैर है, किसान देश की
रीढ़ है अतः जब तक मजदूर – किसान खुशहाल नहीं होगा तब
तक देश खुशहाल नहीं होगा। इसलिये मजदूर किसान के हित
के संघर्ष के लिए सहयोग करें।